Kohli ने इस आदमी के सामने टेके घुटने: सीखा दे भाई!




विराट कोहली कहाँ हैं? विराट कोहली मुंबई में हैं? वो कब नज़र आयेंगे? वो जनवरी ३० को नज़र आयेंगे। जनवरी ३० को क्या है। जनवरी ३० को दिल्ली का मैच रेलवेज़ से दिल्ली में ही है। मुंबई में विराट कोहली क्या कर रहे हैं? मुंबई में विराट कोहली अपनी बैटिंग सुधार रहे हैं। उनकी बैटिंग कौन सुधार रहा है। उनकी बैटिंग संजय बाँगर सुधार रहे हैं। अब ये संजय बाँगर कौन हैं? बाँगर मुंबई और इंडिया से खेल चुके हैं। बाँगर आईपीएल की कई टीमों के साथ बैटिंग कोच के रूप में रहे हैं। और जब वो इण्डियन टीम के बैटिंग कोच २०१४ से २०१९ के बीच में थे, तब उस समय विराट कोहली का जलवा आसमान चूम रहा था। कोहली ने जो अपने ८० अंतरराष्ट्रीय शतक मारे हैं, उसमें ज़्यादातर तब ही लगे थे जब बाँगर टीम के साथ जुड़े हुए थे। उछलती पिच पर, घूमती पिच पर, सीम और स्विंग करने वाली पिच पर, दाये या बायें हाथ के तेज गेंदबाज़ के ख़िलाफ़ जब कभी भी कोहली को मुश्किल आती थी, बाँगर उसका हल किंग कोहली के लिए ढूँढ लेते थे। जब कोहली से बाँगर के बारे में इंडियन क्रिकेट बोर्ड ने राय माँगी तो कोहली ने कहा कि ये बैटिंग कोच ग़ज़ब का है। पर इण्डियन क्रिकेट बोर्ड को ये बात समझ में नहीं आयी। उन्होंने २०१९ में विक्रम राठौर को बैटिंग कोच बना दिया। तब से लेकर अब तक पिछले पाँच सालों में कोहली के बल्ले से सिर्फ़ ३ शतक निकले हैं। पर कोहली बाँगर को छोड़ने वाले नहीं थे। रॉयल चैलेंजर्स ऑफ़ बैंगलोर में उनकी तूती बजती है और उन्होंने बाँगर को इस आईपीएल की टीम का बैटिंग कोच बना दिया। पर इण्डियन टीम में तो बाँगर उनके साथ नहीं हो सकते थे। और कोहली की बैटिंग ख़राब से ख़राब होती चली गई। अभी हाल की इंडिया-ऑस्ट्रेलिया की सीरीज में कोहली ने नौ पूरी पारियों में सिर्फ़ १९० रन बनाये। जब लौट के आये तो बोर्ड ने कहा कि अब हर कांट्रैक्टेड खिलाड़ी को रणजी ट्रॉफी खेलनी पड़ेगी। इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ता कि कौन कितना बड़ा है। कोहली ने पिछला मैच तो ये कह कर छोड़ दिया कि उनकी गर्दन में तकलीफ़ है। पर अब हर बार तो ये बहाना नहीं बना सकते ना। उधर रोहित शर्मा, ऋषभ पंत, यशस्वी जयसवाल रणजी ट्रॉफी खेले तो पर फेल हुए। शुभमन गिल भी अपनी पहली पारी में फेल हुए हालाँकि दूसरी पारी में उन्होंने शतक जड़ा। सिर्फ़ जडेजा ने रन भी बनाये और विकेट भी लिये। तो अब कोहली रेलवेज़ के ख़िलाफ़ खेलने को तैयार हैं। बाँगर उनकी मदद कर रहे हैं। बाँगर उनकी मदद मुंबई से काफ़ी दूर एक अकैडमी में कर रहे हैं जो बाँगर की अपनी है। इसमें कोहली को वो १६ कदम की दूरी से ऐसी गेंदें खिला रहे हैं जो पड़ कर उछलती हो। कोशिश ये है कि कोहली हमेशा फ्रंट फ्रंट पर रहते हैं इसलिए उनका बैकफ़ुट का खेल बिखरा हुआ है। ऑस्ट्रेलिया में तेज गेंदबाज़ बस उनको ऐसी ही उछलती हुए गेंदें खिलाते रहे और वो स्लिप में कैच देते रहे। अब बाँगर ने एक सीमेंट की पिच रखी है जहां वो कोहली को छोटी गेंद फेंक कर उनका बैकफ़ुट पर ढकेल रहे हैं। वहाँ से कोहली ये सीखने का प्रयास कर रहे हैं कि बैकफ़ुट पर कैसे खेला जाए। अगर आप ग़ौर करें तो कोहली के पास कभी भी स्क्वायर ड्राइव और स्क्वायर कट जैसे स्ट्रोक नहीं थे। अब कोहली ये दोनों स्ट्रोक भी खेलने की कोशिश कर रहे हैं और बैकफ़ुट पर गेंद को रक्षात्मक खेलने का भी अभ्यास कर रहे हैं। देखते हैं कि रेलवेज़ के ख़िलाफ़ ये मेहनत क्या रंग लाती है।